Saturday 3 December 2011

छंद ...छंद ..............!

बाली मतवाली जिसकी अदा है निराली बाली
मदहोश वाली बोलो किसकी घर वाली है ,
गालो पे गुलाल जिसके ओठ लाल लाल 
और रेशम से बाल और आंखे काली काली है ,

देह में वो मोटी जिसकी कद नाटी छोटी ,
चंचल मृदुल और नखरे वाली है ,
जो करती है प्यार फिर देती फटकार 
मंडराती बार बार करती बात हाली हाली है ,

प्यार की खज़ाना जो उन्ही की जाने जाना ,
शम्मा की परवाना खाती भर भर थाली है ,
बाली मतवाली जिसकी अदा है निराली बाली
मदहोश वाली बोलो किसकी घर वाली है ,

                                                सुकुमार,   ......     

Tuesday 1 November 2011

छंद ......छंद............,,

गीत सी संगीत जैसी , प्रीत मनमीत जैसी ,
कवियों के गीत जैसी , स्वप्न से भी प्यारी हो ,
मोरनी सी मोर जैसी , चकवा चकोर जैसी ,
झरने की धार जैसी , गगन की परी हो ,
                  तबले की ताल जैसी , हिरनी की चाल जैसी ,
                  घूँघट सम्हाले, मधुवन की ही नारी हो ........

दलदल की कमल जैसी , वस्त्र मखमल जैसी ,
गुल-गुलशन सी, चमन से भी प्यारी हो ,
कोयल की बोली जैसी , फागुन की होली जैसी ,
अनल की शिखा जैसी , रवि की ही लाली हो 
                  भाल पे सिंदूर जैसी जन्नत ही हूर जैसी , 
                  कांच की महल जैसी,अमृत की प्याली हो ........

नयन की नूर जैसी ,घटा घनघोर जैसी ,
कनक,नुपुर जैसी , मोतियों की आली हो ,
संगमरमर जैसी , गजरे सी हार जैसी,
झंकृत तार जैसी, बसंत बयारी हो ,
                  सागर की लहर सी , सावन फुहार जैसी ,
                  हरित तृणों में जैसी , ओश बूंद पड़ी हो ,.........

कदम्ब गुलाब जैसी , सरस शबाब जैसी ,
कलरव गान जैसी , सुमन की क्यारी हो ,
अबीर गुलाल जैसी , ईद की चाँद जैसी ,
जन्म भूमि कर्म भूमि , जान से भी प्यारी हो,

                गीत सी संगीत जैसी , प्रीत मनमीत जैसी ,
                कवियों के गीत जैसी , स्वप्न से भी प्यारी हो ,    
                                                  
                                                                                                                       sukumar .......

Monday 31 October 2011

Gazal,...

खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,
इस वीराने में कैसे गुज़ारा करेंगे ,
मौन ही मौन दर्पण दरकने लगे ,
कौन हमदम है किसको पुकारा करेंगे , 
...............खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,

जब सितारे भी रंगत बदलने लगे , 
आग लग जाये गर जिंदगी में कही , 
हम तो जलते रहे है शमा की तरह ,
कैसे जीवन में अपने उजाला करेंगे , 
..................खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,

देखना ही अगर है निहारो मुझे , 
दम से बे- दम हुआ मै तुम्हे क्या खबर ,
ऐसे रंजिस सहारे क्या जीवन चले ,
दो सहारा अगर खुद से हारा करेंगे ,
..................खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,

वक़्त उलझन बने हम परेशा रहे , 
और तमन्नाये ऐसी ही घुटती रही ,
किस तरह हम तुम्हारी इबादत करे ,
कैसे सिजदे में सर ये झुकाया करेंगे ,
..................खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,