खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,
इस वीराने में कैसे गुज़ारा करेंगे ,
मौन ही मौन दर्पण दरकने लगे ,
कौन हमदम है किसको पुकारा करेंगे ,
...............खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,
जब सितारे भी रंगत बदलने लगे ,
आग लग जाये गर जिंदगी में कही ,
हम तो जलते रहे है शमा की तरह ,
कैसे जीवन में अपने उजाला करेंगे ,
..................खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,
देखना ही अगर है निहारो मुझे ,
दम से बे- दम हुआ मै तुम्हे क्या खबर ,
ऐसे रंजिस सहारे क्या जीवन चले ,
दो सहारा अगर खुद से हारा करेंगे ,
..................खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,
वक़्त उलझन बने हम परेशा रहे ,
और तमन्नाये ऐसी ही घुटती रही ,
किस तरह हम तुम्हारी इबादत करे ,
कैसे सिजदे में सर ये झुकाया करेंगे ,
..................खुश्क है मौज हर पल ख़ामोशी यहाँ ,
ब्लॉगर जगत में आपका आग़ाज़ इस बेहतरीन ग़ज़ल के साथ हुआ है...स्वागत है आपका...नियमित लेखन की शुभकामनाओं सहित....
ReplyDeletekya baat hai baboo moshay...wah wah
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