गीत सी संगीत जैसी , प्रीत मनमीत जैसी ,
कवियों के गीत जैसी , स्वप्न से भी प्यारी हो ,
मोरनी सी मोर जैसी , चकवा चकोर जैसी ,
झरने की धार जैसी , गगन की परी हो ,
तबले की ताल जैसी , हिरनी की चाल जैसी ,
घूँघट सम्हाले, मधुवन की ही नारी हो ........
दलदल की कमल जैसी , वस्त्र मखमल जैसी ,
गुल-गुलशन सी, चमन से भी प्यारी हो ,
कोयल की बोली जैसी , फागुन की होली जैसी ,
अनल की शिखा जैसी , रवि की ही लाली हो
भाल पे सिंदूर जैसी जन्नत ही हूर जैसी ,
कांच की महल जैसी,अमृत की प्याली हो ........
नयन की नूर जैसी ,घटा घनघोर जैसी ,
कनक,नुपुर जैसी , मोतियों की आली हो ,
संगमरमर जैसी , गजरे सी हार जैसी,
झंकृत तार जैसी, बसंत बयारी हो ,
सागर की लहर सी , सावन फुहार जैसी ,
हरित तृणों में जैसी , ओश बूंद पड़ी हो ,.........
कदम्ब गुलाब जैसी , सरस शबाब जैसी ,
कलरव गान जैसी , सुमन की क्यारी हो ,
अबीर गुलाल जैसी , ईद की चाँद जैसी ,
जन्म भूमि कर्म भूमि , जान से भी प्यारी हो,
गीत सी संगीत जैसी , प्रीत मनमीत जैसी ,
कवियों के गीत जैसी , स्वप्न से भी प्यारी हो ,
sukumar .......
bahut achha hai..apni "hone wali" ke lie likha hai ya fir jo ho na saki uske lie???
ReplyDeletehindi ka bahut achha prayog babu moshay
बहुत सुंदर प्रेममयी रचना अच्छी लगी
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