Saturday 3 December 2011

छंद ...छंद ..............!

बाली मतवाली जिसकी अदा है निराली बाली
मदहोश वाली बोलो किसकी घर वाली है ,
गालो पे गुलाल जिसके ओठ लाल लाल 
और रेशम से बाल और आंखे काली काली है ,

देह में वो मोटी जिसकी कद नाटी छोटी ,
चंचल मृदुल और नखरे वाली है ,
जो करती है प्यार फिर देती फटकार 
मंडराती बार बार करती बात हाली हाली है ,

प्यार की खज़ाना जो उन्ही की जाने जाना ,
शम्मा की परवाना खाती भर भर थाली है ,
बाली मतवाली जिसकी अदा है निराली बाली
मदहोश वाली बोलो किसकी घर वाली है ,

                                                सुकुमार,   ......     

1 comment: